Geet-Ageet By Avinash Ranjan Gupta
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प्रश्न—अभ्यास
1 -निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
-
(क) नदी का किनारों से कुछ कहते हुए बह जाने
पर गुलाब क्या सोच रहा है? इससे संबंधित पंक्तियों को लिखिए।
(ख) जब शुक गाता है, तो शुकी के हृदय पर क्या प्रभाव पड़ता है?
(ग) प्रेमी जब गीत गाता है, तब प्रेमिका की क्या इच्छा होती है?
(घ) प्रथम छंद में वर्णित प्रकृति—चित्रण को लिखिए।
(ङ) प्रकृति के साथ पशु—पक्षियों के संबंध की व्याख्या कीजिए।
(च) मनुष्य को प्रकृति किस रूप में
आंदोलित करती है? अपने शब्दों में लिखिए।
(छ) सभी कुछ गीत है, अगीत
कुछ नहीं होता। कुछ अगीत भी होता है क्या? स्पष्ट कीजिए।
(ज) ‘गीत—अगीत’ के केंद्रीय भाव को लिखिए।
1. तट पर एक गुलाब सोचता,
“देते स्वर यदि मुझे विधाता,
अपने पतझर के सपनों का
मैं भी जग को गीत सुनाता।”
2.
शुक अपना प्रेम प्रकट
करने के लिए गीत गाता है। उसके गीत से शुकी के हृदय में भी प्रेम उमड़ने लगता है वह
भी गीत गाना चाहती है परंतु
उसके मन में उठने वाले गीत प्रेम और वात्सल्य
में डूबकर रह जाते हैं।
3.
प्रेमी जब गीत गाता है, तब प्रेमिका की इच्छा होती है कि वह भी उस गीत की पंक्ति बन जाए। उस आल्हा-गीत
को सुनकर वह मंत्र-मुग्ध हो जाती है।
4.
प्रथम छंद में कवि यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि गीत और अगीत दोनों में
से कौन सुंदर है? नदी जब बहती है तो अपने स्वरों से किनारों को अपनी
विरह की पीड़ा कहती जाती है। उसी तट पर गुलाब यह सोचने लगता है कि अगर ईश्वर मुझे भी स्वरों का वरदान दिए होते तो मैं भी दुनिया को पतझड़
के दुख भरे दिनों की पीड़ा सुना पाता।
5.
वास्तव में प्रकृति की सुंदरता
पशु-पक्षियों से ही है दूसरी तरफ प्रकृति की सुंदरता पशु-पक्षियों को गुनगुनाने तथा
चहचहाने के लिए आकुल कर देती है। प्रकृति का
पशु-पक्षियों के साथ अनोखा संबंध हैं। इन पशु-पक्षियों ने कभी भी कोई भी कार्य प्रकृति
के विरोध में नहीं किया है। ये सारे पशु –पक्षी प्रकृति के नियमों का पालन करते हैं। प्रकृति को इन
पशु-पक्षियों से कोई भी खतरा नहीं है और ऐसे में प्रकृति और
इन पशु-पक्षियों के बीच बहुत ही गहरा
संबंध स्थापित हो जाता है। ।
6.
मनुष्य को प्रकृति
अनेक रूपों में आंदोलित करती है। प्रकृति की स्वच्छता और सुंदरता मनुष्य को घंटो-घंटों
तक उसे निहारने के लिए बाध्य कर देती है। प्रकृति के उपादानों में संगीत है जिसे हम
बहती हवा और नदियों, सागर तथा झरनों के जल
में सुन सकते हैं। इंद्रधनुष की सतरंगी सुंदरता और क्षितिज क मनमोहक दृश्य सभी मानव
को आंदोलित कर ही देता है।
7.
जी हाँ, अगीत होता है। जब हम अपने मन के भावों को वाणी देकर प्रेषित कर देते हैं तो
वह गीत है परंतु जब हम उसे अपने हृदय में ही विलीन कर देते हैं पर उसका सुख हमारी मुख
मुद्रा में प्रतिफलित होने लगता है तो वह अगीत कहलाता है। इस कविता में भी गुलाब,
शुकी और प्रेमिका अगीत के ही उदाहरण हैं।
8.
गीत-अगीत का केंद्रीय
भाव यह है कि जिस भाव या विचार को स्वरों के माध्यम से अभिव्यक्त किया जा सके उसे गीत
कहते हैं पर कभी-कभी स्थिति ऐसी भी आ जाती है कि हम भाव या प्रेम का रसास्वादन करते
हैं फिर भी कुछ न बोलकर सब अपने हृदय में समाहित कर लेते हैं। ऐसी स्थिति अगीत कहलाती
है। ऐसी अवस्था में यह निर्णय कर पाना जटिल हो जाता है कि गीत और अगीत में से ज़्यादा
कौन सुंदर है?
2 -संदर्भ—सहित व्याख्या कीजिए -
(क) अपने पतझर के सपनों का
मैं भी जग को गीत सुनाता
(ख) गाता शुक जब किरण वसंती
छूती
अंग पर्ण से छनकर
(ग) हुई न क्यों मैं कड़ी गीत की
बिधना यों मन में गुनती है
1.
प्रस्तुत पंक्तियों का आशय यह है कि नदी के तट पर खड़ा गुलाब यह सोचता है कि
उसके अंदर भी कोमल भावनाएँ हैं। वो भी जग को अपने पतझड़ के मौसम का दुख दूसरों को सुनाना
चाहता है परंतु ईश्वर ने उसे स्वर ही नहीं दिया है।
2.
प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि कह रहे हैं की जब सूरज की बसंती किरणें
शुक के अंग को छूती हैं तो आनंदमग्न होकर मधुर ध्वनि में गीत गाने लगता है। ।
3.
प्रेमी का गाया हुआ आल्हा-गीत सुनकर प्रेमिका का उर फुलने लगता है। तभी वह सोचती
है कि हे विधाता! मैं इस गीत की कड़ी क्यों न हुई? प्रेमी का गाया
हुआ आल्हा-गीत सुनकर प्रेमिका के हृदय में भी प्रेम उमड़ने लगता है परंतु वह गा नहीं
पाती।
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