Ek Phool Ki Chah Ka Shabdarth By Avainash Ranjan Gupta
एक फूल की चाह
सियारामशरण गुप्त
शब्दार्थ
1.
संस्कार = Culture
2.
अनुयायी = Follower
3.
संकेत = इशारा
4.
कथा = कहानी
5.
सामाजिक = Social
6.
करारी चोट = गहरी मार
7.
ज्वलंत घटनाओं = Burning incidents
8.
जीवंत = Lively
9.
पृष्ठभूमि = Background
10.
करुणा = दया
11.
द्वंद्व = झगड़ा,
दो
12.
समन्वित = Balanced
13.
मरणासन्न = मरने की स्थिति
14.
मनोकामना = मन की इच्छा
15.
बीड़ा =ज़िम्मेदारी
16.
नसीहत = परामर्श
17.
सलूक = व्यवहार
18.
मार्मिक = हृदय से जुड़ा हुआ
19.
सवर्ण = एक वर्ण (रंग) के, सजातीय
20.
आराधना = पूजा
21.
उद्वेलित - भाव—विह्वल
22.
अश्रु—राशियाँ - आँसुओं की झड़ी
23.
महामारी - बडे़ स्तर पर फैलनेवाली बीमारी
24.
प्रचंड - तीव्र
25.
क्षीण — दबी आवाज़,
कमज़ोर
26.
मृतवत्सा - जिस माँ की संतान मर गई हो
27.
रुदन - रोना
28.
दुर्दांत - हृदयविदारक, जिसे दबाना या वश में करना कठिन हो
29.
नितांत - बिलकुल,
अलग,
अत्यंत
30.
कृश - पतला, कमज़ोर
31.
रव - शोर
32.
तनु - शरीर
33.
ताप—तप्त - ज्वर से पीड़ित
34.
शिथिल - कमज़ोर, ढीला
35.
अवयव — अंग
36.
विह्वल - दुःखी, बेचैन
37.
स्वर्ण घन - सुनहले बादल
38.
ग्रसना - निगलना
39.
तिमिर - अंधकार
40.
विस्तीर्ण - फैला हुआ
41.
सरसिज - कमल
42.
रविकर जाल - सूर्य—किरणों का
समूह
43.
आमोदित - आनंदपूर्ण
44.
अविश्रांत - बिना रुके हुए, लगातार
45.
ढिकला - ठेला गया,
धकेला गया
46.
सिंह पौर - मंदिर का मुख्य द्वार
47.
परिधान - वस्त्र
48.
शुचिता - पवित्रता
49.
कंठ क्षीण होना - रोने के कारण स्वर का क्षीण या कमज़ोर होना
50.
प्रभात सजग - हलचल से भरी सुबह
अलस दोपहरी - आलस्य से भरी दोपहरी
Comments
Post a Comment