DAV Bolani Gaan By Avinash Ranjan Gupta
डी.ए.वी. बोलानी गान
नवयुग के नवजीवन का सबल, समर्थ आधार,
विद्यालय डी.ए.वी. बोलानी करे छात्र उद्धार।
अब चिंतन में है क्रांति, लुप्त हुई सारी
भ्रांति,
विद्या के वृन्दावन में फैल गई है सुख शांति।
समृद्धि में हुई वृद्धि, मिले नए आयाम,
कर्मों के नंदन वन में रहा न कोई निष्काम।
नवयुग के नवजीवन का सबल, समर्थ आधार,
विद्यालय डी.ए.वी. बोलानी करे छात्र उद्धार।
दयानंद की दया यहाँ, हंसराज का त्याग,
वेदों की शुचिता और मंत्रोच्चार का राग।
देश की महिमा गरिमा को रखेंगे अक्षुण्ण अभंग,
जन-जन में संचरित करेंगे विपुल उमंग-तरंग।
नवयुग के नवजीवन का सबल, समर्थ आधार,
विद्यालय डी.ए.वी. बोलानी करे छात्र उद्धार।
लोभ-मोह और भेद-भाव का हो गया अब संहार,
जनसेवा ही बन गया हो जिनका जीवन सार,
जीवन का साफल्य है जिनका परम विचार,
ऐसी विद्या की बगिया में आ गया वसंत बहार।
नवयुग के नवजीवन का सबल, समर्थ आधार,
विद्यालय डी.ए.वी. बोलानी करे छात्र उद्धार।
अविनाश रंजन गुप्ता
Comments
Post a Comment