Anucched Lekhan Paragraph writing by Avinash Ranjan Gupta
अनुच्छेद लेखन
ध्यान
में रखने योग्य कुछ बातें -
1. एक ही अनुच्छेद (पैरेग्राफ)
में लिखा जाता है।
2. मुख्य विषय के अंतर्गत दिए गए विषयों
को आधार बनाते हुए लिखा जाता है।
3. शब्दों का प्रयोग इस प्रकार हो कि
बड़े-बड़े वाक्यों की अपेक्षा एक शब्द का प्रयोग उस वाक्य के स्थान पर हो ।
4. शैली अर्थात् विषय-वर्णन आकर्षक हो,
अशुद्धिरहित हो और विषय का वर्णन क्रमबद्ध हो।
5. सामान्यतः अनुच्छेद 90-120 शब्द-सीमा में लिखा जाता है।
6. निबंध में विस्तार होता है जबकि
अनुच्छेद लेखन का महत्व विस्तार को संक्षेप में लिखने में होता है।
7. अनुच्छेद में दिए गए बिन्दुओं के बारे
में बताया जाता है जबकि निबंध में उनका विस्तार से वर्णन किया जाता है।
अनुच्छेद लेखन
के कुछ नमूने
विज्ञापन और हमारा जीवन
संकेत बिन्दु:- विज्ञापन
का उद्देश्य, प्रकार, भूमिका, सामाजिक दायित्व।
(विज्ञापन का उद्देश्य)
किसी भी वस्तु, व्यक्ति या विचार के
प्रचार-प्रसार को विज्ञापन कहते हैं। विज्ञापन का उद्देश्य श्रोता, पाठक या उपभोक्ता के मन पर गहरी छाप छोड़ उसे प्रभावित करना होता है। (प्रकार) विज्ञापनों
के अंतर्गत दहेज, नशा, विभिन्न
कार्यक्रमों, रैलियों, विवाह, नौकरी, संपत्ति के क्रय-विक्रय संबंधी के विज्ञापन
आते हैं। सबसे लोकप्रिय और लुभावने विज्ञापन होते हैं- व्यापारिक विज्ञापन। (भूमिका) उद्योगपति
अपने माल के विक्रय हेतु अत्यंत आकर्षक विज्ञापनों का प्रयोग करते हैं ताकि ग्राहक उनको देख व सुन उन्हें खरीदे;
चाहे अन्य श्रेष्ठ वस्तुएँ ही क्यों न उपलब्ध
हों। प्रायः, माल बेचना मुख्य मानकर उसका गलत प्रचार किया
जाता है। गलत और खराब माल बेचने के लिए आकर्षक सितारों का उपयोग भी किया जाता है। (सामाजिक
दायित्व) विज्ञापनों में समाज को प्रभावित करने की अद्भुत
शक्ति होती है। ये सरकार, व्यापार और समाज के लिए वरदान है परंतु
गलत हाथों में पड़कर इसका दुरुपयोग भी हो सकता है। (शब्द 120)
कंप्यूटर युग
संकेत बिन्दु:- कंप्यूटर
का युग, कंप्यूटर का अनुप्रयोग, विकास,
कंप्यूटर का भविष्य।
(कंप्यूटर का युग) आज के युग को विज्ञान का युग कहा जाता
है। किसी देश का विकास उसके वैज्ञानिक, औद्योगिक व तकनीकी प्रगति पर निर्भर करता है। (कंप्यूटर
का अनुप्रयोग) आज कंप्यूटर बैंक, रेलवे-स्टेशन,
हवाई-अड्डे, डाकखाने, कारखाने,
व्यवसाय हर क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन के कार्यों में महत्वपूर्ण
भूमिका निभा रहा है। (विकास) कंप्यूटर के
आविष्कार ने जीवन को सरल, सुगम और सुविधाजनक बना दिया है।
बिल भरना, रेलवे या बस या हवाई-जहाज से यात्रा का टिकिट
आरक्षित (बुक) करवाना, परीक्षाफल देखना, अपने समाचार एक स्थान से दूसरे स्थान पर तुरंत भेजना आदि अनेक बहुत से
कार्य हैं जो अब पलभर में ही हो जाया करते हैं। कंप्यूटर द्वारा बड़ी-बड़ी गणनाओं
को सुगमता से किए जाने के कारण अंतरिक्ष-विज्ञान, चिकित्सा-विज्ञान,
मौसम-विज्ञान, व्यवसाय आदि में बहुत उन्नति
हुई है। इसका (कंप्यूटर का भविष्य) दुष्प्रभाव
स्वास्थ्य और सामाजिक जीवन में कमी आने के रूप में देखने को मिल रहा है।
मनुष्य इसका दास नहीं बने, इसे साधन मानें और इसका उचित
प्रयोग करें तभी उसका जीवन सफल होगा। (शब्द 120)
दया धर्म का मूल है।
संकेत बिन्दु:- धर्म का मूल, अन्य धर्मो
में दया, परोपकार, सामाजिक कर्तव्य
(धर्म का मूल) गोस्वामी
तुलसीदासजी ने लिखा है -‘दया धर्म का मूल है,
पाप मूल अभिमान।’ अर्थात् अहंकार से पाप पैदा
होता है और दया से धर्म। (अन्य धर्मो में दया)
हिंदू, सिक्ख, ईसाई, मुस्लिम और विश्व के हर धर्म में पीड़ितों पर दया करने को सर्वोच्च माना
गया है। परोपकार का सीधा संबंध करुणा, दया, मानवता और संवेदना से है। (परोपकार)
सच्चे परोपकारी दूसरे की पीड़ा को अनुभव करके उसकी सहायता करने के लिए तैयार हो
जाते हैं। भारत में दधीचि जैसे ऋषि ने जन-कल्याण के लिए अपनी हड्डियाँ दान में दी
हैं। बुद्ध, महावीर, अशोक, अरविंद, गाँधीजी जैसे महापुरुषों का जीवन परोपकारी
रहा है जिसने उन्हें महान बनाया है। (सामाजिक कर्तव्य) सामाजिक कर्तव्यों में भी दया की भावना को सर्वोपरि माना
गया है जो हर प्रकार से लाभकारी है। परोपकारी व्यक्ति सदा प्रसन्न, निर्मल और हँसमुख रहता है। वह लोभ, लालच, ईर्ष्या आदि से दूर रहता है इसलिए सर्वत्र उसे बहुत आदर दिया जाता है।
भावनाओं में दया ही सर्वश्रेष्ठ है। (समाप्त)
राष्ट्रीय एकता
संकेत बिन्दु:- राष्ट्रीय एकता की परिभाषा, महत्त्व, विविधता में एकता, हमारा कर्तव्य
(राष्ट्रीय एकता की परिभाषा) कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने भारत को ‘मानव महासमुद्र’ कहा है।
जिस प्रकार से विभिन्न धाराएँ समुद्र में मिलकर एक हो जाती हैं उसी प्रकार से
हमारे भारत ने हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख,
ईसाई आदि अनेक धर्मों व उनकी संस्कृति, भाषाओं,
रहन-सहन, रीति-रिवाजों आदि को अपनाकर एक महान
भारत का रूप ले लिया है। (महत्त्व) विभिन्न
धर्मों व सिद्धांतों को मानने वाले यहाँ परस्पर प्रेम-भाव से रहते हैं और एक-
दूसरे से भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं। देशवासियों का एक होकर रहना ही ‘राष्ट्रीय एकता’ है। (विविधता
में एकता) सम्पूर्ण विश्व के लिए यही आश्चर्य की बात है कि विभिन्न
मतों और विचारों में विश्वास रखनेवाले एक राष्ट्र में इतने प्रेम से रह रहे हैं। (हमारा कर्तव्य) नागरिकों और भावी पीढ़ी
का कर्त्तव्य है कि हर हाल में अपनी भारत भूमि की एकता व अखंडता को
सर्वोच्च मानें एवं ऐसा कोई कार्य न करें जिससे वह खंडित हो। (शब्द 120)
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