Ab Kahan Dusron ke Dukh Me Dukhi Hone Wale By Avinash Ranjan Gupta
AB KAHAN DOOSARON KE DUKH SE DUKHI HONE WAALE PAATH KA SHABDARTH click here
AB KAHAN DOOSRON KE DUKH SE DUKHI HONEWAALE PAATH KE KUCHH SMARANEEY BINDU click here
मौखिक
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक—दो पंक्तियों में दीजिए-
1. बड़े—बड़े बिल्डर समुद्र को पीछे क्यों धकेल
रहे थे?
2. लेखक का घर किस शहर में था?
3. जीवन कैसे घरों में सिमटने
लगा है?
4. कबूतर परेशानी में इधर—उधर क्यों फड़फड़ा रहे थे?
1.
उत्तर- बड़े-बड़े बिल्डर समुद्र को
पीछे धकेल रहे हैं ताकि वे समुद्र की जमीन को हथिया सकें और उस पर इमारतें खड़ी कर विपुल
धन कमा सकें।
2.
उत्तर- लेखक का घर ग्वालियर (मध्यप्रदेश)
शहर में था ।
3.
उत्तर- आज का जीवन डिब्बे जैसे छोटे-छोटे
घरों में सिमटने लगा है
4.
उत्तर- कबूतरों का घोंसला लेखक के
घर में था जिसे एक बार बिल्ली ने उचक कर घोंसले का एक अंडा तोड़ दिया था। यह देख माँ
ने घोंसले के दूसरे अंडे को बचाने की कोशिश
में वह अंडा भी टूट गया। जब कबूतर को घोंसले में अंडे नहीं मिले तो वे परेशानी में
इधर-उधर क्यों फड़फड़ाने लगे।
लिखित
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
1. अरब में लशकर को नूह
के नाम से क्यों याद करते हैं?
2. लेखक की माँ किस समय पेड़ों
के पत्ते तोड़ने के लिए मना करती थीं और क्यों?
3. प्रकृति में आए असंतुलन
का क्या परिणाम हुआ?
4. लेखक की माँ ने पूरे दिन
का रोज़ा क्यों रखा?
5. लेखक ने ग्वालियर से
बंबई तक किन बदलावों को महसूस किया? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
6. ‘डेरा डालने’ से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
7. शेख अयाज़ के पिता अपने
बाजू पर काला च्योंटा रेंगता देख भोजन छोड़ कर क्यों उठ खड़े हुए?
1. उत्तर- बाइबिल और दूसरे पावन ग्रन्थों में नूह नामक पैंगंबर
का जिक्र मिलता है, उनका असली
नाम लशकर था। अरब में उन्हें नूह के लकब से याद किया जाता है क्योंकि उनहोंने एक बार
कुत्ते को दुत्कारते हुए कहा था, “दूर हो जा, गंदे कुत्ते।
” कुत्ते ने दुत्कार सुनकर जवाब दिया न मैं अपनी मर्जी से कुत्ता हूँ और न तुम अपनी
मर्जी से इन्सान, बनानेवाला
सबका तो एक ही है। यह सुन वे बहुत दुखी हुए और मुद्दत तक रोते रहे इसलिए उन्हें अरब
में लशकर को नूह के नाम से याद करते हैं।
2. उत्तर- लेखक की माँ शाम के समय पेड़ों के पत्ते तोड़ने से मना करती थीं। उनका
मानना था कि इससे पेड़ों को दुख पहुँचता है
और वे रोते हैं। मानव धर्म तो यही कहता है कि कभी भी किसी भी सूरत में किसी
को दुख न पहुँचाया जाए।
3. उत्तर- प्रकृति में आए असंतुलन का यह परिणाम हुआ कि गर्मी से
अधिक गर्मी पड़ने लगी, बेवक्त
बर्षा होने लगी, भूकंप, बाढ़, तूफ़ान आने लगे हैं। नाना प्रकार के रोगों का आविर्भाव हुआ है। पशु-पक्षी इधर-उधर
भागने लगे। एक बार तो मुंबई में समंदर की लहरों पर तैरती तीन समुद्री जहाज़ों को समुद्र
ने बच्चों की गेंद की तरह तीन दिशाओं में फेंक दिया।
4. उत्तर- लेखक की माँ ने पूरे दिन रोज़ा रखा क्योंकि
उनके हाथ से कबूतर के घोंसले का एक अंडा टूट गया था। हालाँकि, वह कबूतर के अंडे को बचाने की कोशिश कर रही थीं पर
दुर्भाग्यवश अंडा टूट गया। इसके लिए माँ ने खुद को दोषी ठहराया और प्रायश्चित स्वरूप
एक दिन का रोज़ा रखा और खुदा से अपनी गलती को माफ करने की दुआ माँगती रही।
5. उत्तर- लेखक का ग्वालियर में खुला और बड़ा मकान था। उस समय लोगों
के हृदय में पशु-पक्षियों के प्रति अथाह प्रेम हुआ करता था। वे उनके दुख से दुखी हो
जाया करते थे। फिर वे मुंबई के वर्सोवा इलाके में आकार बस गए। यहाँ भी पहले दूर तक
घना जंगल था पर अब यहाँ जंगल नहीं रहा। समुद्र के किनारे लंबी-चौड़ी बस्ती बन गई है।
अब यहाँ पशु-पक्षियों का नामों-निशाँ तक नहीं रहा। पेड़ भी धीरे-धीरे गायब हो गए हैं।
6. उत्तर- ‘डेरा डालने’ से हम समझते
हैं कि किसी भी प्राणी द्वारा जीवन-अनुकूल स्थान पर कब्ज़ा करके उसे अपना स्थायी या
अस्थायी निवास बना लेना। प्राय: बंजारे या
ख़ानाबदोश जातियाँ डेरा डालकर रहते हैं। कहीं-कहीं
पक्षी भी किसी अनुकूल जगह पर घोंसला बना लेती हैं। ये भी ‘डेरा डालने’ का उदाहरण है।
7. उत्तर- शेख आयाज़ के पिता अपने बाजू पर काला च्योंटा रेंगता देख
भोजन छोड़ कर उठ खड़े हुए क्योंकि उन्हें लगा कि उन्होंने एक च्योंटे को बेघर कर दिया
है। च्योंटे का घर कुएँ के पास था ; अत: वे उसे
उसके घर तक छोड़ने के लिए चल दिए।
लिखित
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
1. बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण
पर क्या प्रभाव पड़ा?
2. लेखक की पत्नी को खिड़की
में जाली क्यों लगवानी पड़ी?
3. समुद्र के गुस्से की
क्या वजह थी? उसने अपना गुस्सा कैसे
निकाला?
4. ‘मट्टी से मट्टी मिले,
खो के सभी निशान,
किसमें कितना कौन है,
कैसे हो पहचान’
इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक क्या
कहना चाहता है? स्पष्ट कीजिए।
1.
उत्तर- बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर यह दुष्प्रभाव पड़ा कि प्रकृति का संतुलन
ही बिगड़ गया। बढ़ती हुई आबादी के जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रकृति को विभिन्न तरीकों
से नष्ट किया जा रहा है। बड़े-बड़े बिल्डर समुद्र को पीछे धकेल रहे हैं। पेड़ों को रास्ते
से हटाया जा रहा है। बड़ी-बड़ी इमारतों ने प्राकृतिक सुंदरता को नष्ट ही कर दिया है।
अब गर्मी से अधिक गर्मी पड़ने लगी, बेवक्त बर्षा होने लगी, भूकंप, बाढ़, तूफ़ान आने
लगे हैं। नाना प्रकार के रोगों का आविर्भाव हुआ है। पशु-पक्षी इधर-उधर भागने लगे। एक
बार तो मुंबई में समंदर की लहरों पर तैरती तीन समुद्री जहाज़ों को समुद्र ने बच्चों
की गेंद की तरह तीन दिशाओं में फेंक दिया।
2.
उत्तर- लेखक के घर में कबूतरों ने डेरा डाल रखा था। कबूतरों के बच्चे छोटे-छोटे
थे जिसके कारण वे बार-बार आते-जाते रहते थे। इससे घर के लोगों को परेशानी होती थी।
कभी-कभी वे चीज़ों को गिराकर तोड़ भी देते थे। इस रोज़-रोज़ की परेशानी से तंग आकर लेखक की पत्नी ने खिड़की में जाली लगवा दी।
3.
उत्तर- समुद्र के गुस्से की वजह थी कि बड़े-बड़े बिल्डर उसकी सहन शक्ति को बार-बार
ललकार रहे थे। बिल्डर निरंतर समुद्र को पीछे की ओर धकेल रहे थे और उसकी जगह हथिया रहे
थे। समुद्र लगातार सिकुड़ता चला जा रहा था। पहले तो उसने अपनी टाँगे सिकोड़ीं फिर उकड़ूँ
बैठ गया फिर खड़ा हो गया और जब खड़े होने की भी जगह नहीं रही तो क्रोधित होकर अपनी लहरों
पर तैर रहे तीन समुद्री जहाज़ों को बच्चों की गेंद की तरह तीन दिशाओं में उछालकर फेंक
दिया। एक जहाज़ वर्ली के समुद्र के किनारे जा गिरा दूसरा बांद्रा में कार्टर रोड के
किनारे औंधे मुँह गिरा और तीसरा गेट-वे-ऑफ इंडिया के पास जाकर गिरा।
4.
उत्तर- इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक कहना चाहता है कि सभी प्राणियों में प्रकृति
के ही पाँच तत्त्व मिले हुए हैं। इन्हीं पाँच तत्त्वों के समावेश से सभी प्राणी बने
हुए हैं। हम सब की रचना इसी प्रकृति ने की है। प्रकृति के अनुसार सभी जीव समान हैं
कोई भी छोटा-बड़ा नहीं है। मृत्यु के बाद सभी को इसी में मिल जाना है उसके बाद यह पता
नहीं लगाया जा सकता कि किसमें कौन है और कितना है?
लिखित
(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-
1. नेचर की सहनशक्ति की
एक सीमा होती है। नेचर के गुस्से का एक नमूना कुछ साल पहले बंबई में देखने को मिला
था।
2. जो जितना बड़ा होता है
उसे उतना ही कम गुस्सा आता है।
3. इस बस्ती ने न जाने कितने
परिंदों—चरिंदों से उनका घर छीन
लिया है। इनमें से कुछ शहर छोड़कर चले गए हैं। जो नहीं जा सके हैं उन्होंने यहाँ—वहाँ डेरा डाल लिया है।
4. शेख अयाज़ के पिता बोले, ‘नहीं, यह बात नहीं है। मैंने एक घरवाले को
बेघर कर दिया है। उस बेघर को कुएँ पर उसके घर छोड़ने जा रहा हूँ।’ इन पंक्तियों में छिपी हुई उनकी भावना
को स्पष्ट कीजिए।
1. उत्तर- प्रस्तुत गद्यांश का आशय यह है कि प्रकृति
की सहनशक्ति की एक सीमा होती है। जब इसके साथ
खिलवाड़ किया जाता है तब यह कुपित होकर रौद्र रूप धारण कर लेती है। नेचर के गुस्से का
एक नमूना कुछ साल पहले बंबई में देखने को मिला था जब समंदर की लहरों पर तैरती तीन समुद्री
जहाज़ों को समुद्र ने बच्चों की गेंद की तरह तीन दिशाओं में फेंक दिया।
2. उत्तर- प्रस्तुत गद्यांश का आशय यह है कि जो जितना
बड़ा होता है उसे उतना ही कम गुस्सा आता है पर जब आ जाता है तो किसी विनाश के घटित हुए बिना उसका गुस्सा शांत नहीं होता। कुछ साल पहले
बंबई में इसका नमूना देखने को मिला था। और आए दिन विश्व के किसी न किसी कोने में होने
वाले प्राकृतिक आपदाएँ इसका ज्वलंत उदाहरण हैं।
3. उत्तर- प्रस्तुत गद्यांश का आशय यह है कि लोग
अपने फायदे और जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। समुद्र
के किनारे बनाई गई बस्तियों के कारण पशु-पक्षियों
से उनके आशियाने छीन लिए गए हैं। अब वे बेघर हो गए हैं। कुछ पशु- पक्षी बस्ती को छोड़कर
पलायन कर गए हैं। और कुछ इधर-उधर ही डेरा डाल बैठे हैं।
4. उत्तर- शेख
आयाज़ के पिता परम परोपकारी व्यक्ति थे। वे किसी को दुखी नहीं देख सकते थे। जब एक च्योंटा
उनके माध्यम से उनके घर तक चला आया तब उन्हें अनजाने में हुई भूल का अहसास हुआ और भोजन
पर से उठ कर उस च्योंटे को उसके घर पहुँचाने के चल पड़े।
Sir, shabdarth kahan hai is chapter ka?
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