दृश्य लेखन का उदाहरण - 2 By Avinash Ranjan Gupta

दृश्य लेखन का दूसरा उदाहरण
कॉलेज के युवा अविनाश का एकतरफ़ा प्रेम पिछले छह सालों से दोतरफ़ा हो जाने की कोशिश करता है पर उसे पता चलता है कि नरमीत (जिससे वह प्रेम करता है) किसी और से प्रेम करती है। नरमीत यह जानती है कि अविनाश पाकदिल और मेहनती लड़का है और वह यह भी जानती है कि वह उससे बहुत प्रेम करता है पर वो उसे केवल अपना एक सच्चा मित्र ही मानती है। कॉलेज के आठ सालों बाद एक दिन नमरीत उसे फोन करती है।
अविनाश अपने कार्यालय में काम कर रहा होता है कि तभी उसका मोबाइल बजने लगता है। अननोन नंबर परंतु ट्रू कॉलर में नमरीत नोएडा लिखा आता है। दोनों में तीन-चार मिनट तक बात-चीत होती है। फिर अविनाश अतीत में खो जाता है। उसके चेहरे के हाव-भाव बदलते रहते हैं। इसी बीच इंटरकॉम बजने लगता है और वह बॉस के चैंबर में चला जाता है।
दृश्य 1/दिन/आंतरिकदृश्य(इनडोर)/अविनाश का कार्यालय/ अविनाश और नमरीत
अविनाश
(उत्साह और आश्चर्य से) हैलो ! हैलो!
नमरीत
अवि, कैसे हो?
अविनाश
(थोड़ा जिज्ञासु होकर) नमरीत क्या
नमरीत
हाँ, कैसे हो?
अविनाश
(सामान्य स्वर men) बहुत अच्छा हूँ और तुम
नमरीत
मैं भी
और अभी कहाँ हो?
अविनाश
(व्यंग्य से) पृथ्वी पर ही हूँ।
नमरीत
(व्यंग्य से) क्यों स्पेश में जाने वाले थे क्या?
अविनाश
(दृढ़ता से) जानेवाला नहीं था पर जाऊँगा, बस साल और तारीख तय नहीं है।
नमरीत
(चिढ़ते हुए) क्या उल्टी-पुलटी बातें कर रहे हो
अविनाश
 (सामान्य भाव से) भुवनेश्वर में हूँ, गुप्ता बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड में।
नमरीत
अच्छा है
अविनाश
और तुम अभी कहाँ हो?
(निराश भाव से) घर में। हाउस वाइफ
अविनाश
(आश्चर्य भाव से) शादी कर ली और बताई भी नहीं
नमरीत
(जिज्ञासा से) तू आता क्या
अविनाश
(कड़े स्वर में) शायद नहीं
नमरीत
इसीलिए नहीं बुलाई
अविनाश
(खुश होते हुए) आज तुझे मेरी याद कैसे हो आई?
नमरीत
आज तुझे सपने में देखा था।
अविनाश
(निराश होते हुए) होप, दुबारा सपने में न देखो।
नमरीत
ऐसा क्यों
अविनाश
(दृढ़ता से) मैं नहीं चाहता कि तुम मुझे दुबारा कॉल करो
नमरीत
मैंने तो बस ऐसे ही
अविनाश
(समझाते हुए) ये ऐसी-वैसी वाली बात नहीं है, नमरीत मैं तुम्हें कुछ और ही मानता था और तुम मुझे कुछ और, तुम्हारी तरफ़ से बात करने की वजह हो सकती हैं क्योंकि तुम मुझे अपना दोस्त मानती हो मेरे तरफ से तुमसे बात करने की कोई वजह नहीं क्योंकि मैं तुम्हें .... (इंटरकॉम बजने लगता है।)
नमरीत
तुम कैसी बात कर रहे हो अवि
अविनाश
(समझाते हुए) मैं बिलकुल सही बात कर रहा हूँ नमरीत, तुम आठ साल बिना बात किए रह सकती हो तो अस्सी साल भी रह सकती हो। फोन कटने के बाद तुम फिर से अपनी दुनिया में व्यस्त हो जाओगी। मगर फोन कटने के बाद मैं अतीत में चला जाऊँगा और मुझे निकलने में बहुत समय लग जाएगा।
नमरीत
(उम्मीद करते हुए) ऐसे मैं फॅमिली के साथ पूरी घूमने जा रही हूँ सोचा तुमसे मिल लेती।
अविनाश
(समझाते हुए) नमरीत, मिलना अब किस्मत पर ही छोड़ दो। और अगर किस्मत ने कहीं मिला दिया तो स्थान काल और पात्र ही यह तय करेगा कि हमें परिचित रहना है या अपरिचित
नमरीत
अवि...
अविनाश
(भरे कंठ से) अलविदा नमरीत। अलविदा
कट टु
अविनाश फोन कट कर देता है और अतीत में चला जाता है। चेहरे के हाव-भाव बदल रहे होते हैं। तभी इंटरकॉम बजने लगता है। अतीत से वर्तमान में अविनाश एक झटके में पहुँच जाता है।

विशेष द्रष्टव्य

पटकथा में कट या कट टु का संबोधन चल रहे दृश्य की समाप्ति पर किया जाता है। इसका मतलब है कि यह दृश्य समाप्त हुआ अब दूसरा दृश्य शुरू होगा। 

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