Mere Desh Ki Gourav Gaatha By Avinash Ranjan Gupta


मेरे देश की गौरव गाथा    
जिस देश से मेरा नाता है,
वो मेरा जीवन दाता है।
इसकी महिमा, इसकी गरिमा,
ये संसार सुनाता है। 
मेरे देश की गौरव गाथा है,
हिमालय जिसका माथा है,
चरणों में जिसके सागर है,
वो मेरी भारत माता है।     
वेदों की पहचान यहाँ,
गीता का है ज्ञान यहाँ,
देवतुल्य हैं जहाँ अतिथि,
ऐसा और स्थान कहाँ?
सबके सुख की जहाँ कामना,
रोगमुक्त की प्रबल भावना,
जनमानस में तापस भर दे,
होती ऐसी यहाँ साधना।  
है पर्वत का परिवार यहाँ,
है नदियों की भरमार यहाँ,
ऋतुओं की शोभा न्यारी है,
है भिन्न-भिन्न त्योहार यहाँ।
मेरे देश की मिट्टी सोंधी है,
मेरे देश की हवा निराली है,
मेरे देश में, बहु भेस में,
मानव की हरियाली है।
                                                               अविनाश रंजन गुप्ता

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