संज्ञा-संबंधी अशुद्धियाँ


(I) संज्ञा-संबंधी अशुद्धियाँ
(1) हिंदी के प्रचार में आज-भी बड़े-बड़े संकट हैं।
(2) सीता ने गीत की दो-चार लड़ियाँ गाईं।
(3) पतिव्रता नारी को छूने का उत्साह कौन करेगा।
(4) कृषि हमारी व्यवस्था की रीढ़ है।
(5) प्रेम करना तलवार की नोक पर चलना है।
(6) नगर की सारी जनसंख्या शिक्षित है।
(7) वह मेरे शब्दों पर ध्यान नहीं देता है। 
(8) जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली कथा चरितार्थ होती है।
(9) मुझे सफल होने की निराशा है।
(10) इस समस्या की औषध उसके पास है।
(11) गोलियों की बाढ़। 



उत्तर
(1) हिंदी के प्रचार में आज-भी बड़े-बड़े संकट हैं। (बड़ी-बड़ी बाधाएँ)
(2) सीता ने गीत की दो-चार लड़ियाँ गाईं। (कड़ियाँ)
(3) पतिव्रता नारी को छूने का उत्साह कौन करेगा। (साहस)
(4) कृषि हमारी व्यवस्था की रीढ़ है। (का आधार)
(5) प्रेम करना तलवार की नोक पर चलना है। (धार पर)
(6) नगर की सारी जनसंख्या शिक्षित है। (जनता)
(7) वह मेरे शब्दों पर ध्यान नहीं देता है। (मेरी बातों पर)
(8) जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली कथा चरितार्थ होती है। (कहावत)
(9) मुझे सफल होने की निराशा है। (आशा नहीं)
(10) इस समस्या की औषध उसके पास है। (का समाधान)
(11) गोलियों की बाढ़। (बौछार)

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