Daant Ke Dard Par Kavita By Avinash Ranjan Gupta


दंत पीड़ा एवं दंत चिकित्सक
बहुत दिनों से पीड़ित था मैं,
दाँतों की पीड़ा से,
पीड़ा बढ़ती जाती थी,
उपदेशों की बीड़ा से। (बीड़ा - बोझ)
पाकर भय पर जय एक दिन,
मैं पहुँच गया अस्पताल,
डॉक्टर ने बतलाया मुझको,
करना होगा रूट केनाल।
विस्मित चेहरा हो गया मेरा, (विस्मित – Astonished)
तब डॉक्टर जी बोले,
ये तो है दर्दरहित प्रक्रिया,  (दर्दरहित प्रक्रिया – Painless Process)
आप चिंतामुक्त हो लें।
नियत तिथि पर पहुँच गया मैं,  (नियत – Fix)
हिम्मत बाँधकर बैठ गया मैं,
धीरे-धीरे लेट गया मैं।
तरह तरह की औजारें थीं,  (औजारें – Intruments)
जो मुझको बहुत डराती थी,
पर डॉक्टर का हँसमुख चेहरा,
डर को दूर भगाती थी।
थी बिजली की-सी त्वरा उनमें,  (त्वरा – Acceleration)
जोश अद्भुत था भरा उनमें,  (अद्भुत – Amazing)
ऊपर से थे वे खुशमिजाज़,  (खुशमिजाज़ – Blissful Mind)

सचमुच उनका था अपना अलग अंदाज़ ।
ताऊ, गुरूजी आदि कहकर,
उलझाया बातों में,
पर थी पैनी नज़रें उनकी,  (पैनी – Sharp)
सिर्फ़ मेरे ही दाँतों में।
उनके थे वहाँ एक सहयोगी,  (सहयोगी – Assistant)
कर्म संपादन के नित उद्योगी,  (नित – Constantly)
शांत चित्त और मन मुक्त माया,  (माया – Delusion)
जैसे उद्यम के कर्मयोगी।  (उद्यम – Effort)
जैसे-तैसे बीत गए पूरे दिन चार,
और मेरे दाँतों का भी हो गया उपचार।  (उपचार – Treatment)
अविनाश रंजन गुप्ता



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