Prashn 3

लिखित
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
1. बड़े भाई की डाँटफटकार अगर न मिलतीतो क्या छोटा भाई कक्षा में अव्वल आताअपने विचार प्रकट कीजिए।
2. इस पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा के किन तौरतरीकों पर व्यंग्य किया हैक्या आप उनके विचार से सहमत हैं?
3. बड़े भाई साहब के अनुसार जीवन की समझ कैसे आती है?
4. छोटे भाई के मन में बड़े भाई साहब के प्रति श्रद्धा क्यों उत्पन्न हुई?   
5. बड़े भाई की स्वभावगत विशेषताएँ बताइए?
6. बड़े भाई साहब ने ज़िंदगी के अनुभव और किताबी ज्ञान में से किसे और क्यों महत्त्वपूर्ण कहा है?
7. बताइए पाठ के किन अंशों से पता चलता है कि -
(क) छोटा भाई अपने भाई साहब का आदर करता है।
(ख) भाई साहब को ज़िंदगी का अच्छा अनुभव है।
(ग) भाई साहब के भीतर भी एक बच्चा है।
(घ) भाई साहब छोटे भाई का भला चाहते हैं।

1.    लेखक के बड़े भाई यदि समय - समय पर उन्हें न टोकते तो हो सकता था कि लेखक अपनी कक्षा में अव्वल न आते।  लेखक को पढ़ने-लिखने का शौक तो था ही नहीं वे तो केवल खेल-कूद में ही मस्त रहा करते थे परंतु बड़े भाई साहब के डर से उन्हें पढ़ना पड़ता था। वास्तव में लेखक ज़हीन थेथोड़ी-सी परिश्रम से ही वे अपनी कक्षा में अव्वल आ जाते थे। लेकिन सफलता का श्रेय निश्चित रूप से बड़े भाई साहब को जाता है क्योंकि वे लेखक पर अंकुश रखते थे। इस बात को स्वयं लेखक ने भी स्वीकार किया है। 
2.    पाठ में लेखक के बड़े भाई साहब ने इतिहास की घटनाओंजामेट्री के नियमों व विधियों तथा ज़रा-सी बात पर कई-कई पृष्ठ वाले निबंध लिखनाबालकों में रटंत शक्ति बढ़ाने पर ज़ोर देना इत्यादि मामलों पर व्यंग्य किया है। यहाँ यह भी कहा गया है कि शिक्षा में ज्ञानवृद्धि पर बल नहीं दिया जाता अपितु आंकड़ों तथा विवरणों का प्रस्तुतीकरण मुख्य है। इस पाठ में परीक्षा प्रणाली पर भी प्रश्न चिह्न लगाया गया है।
3.    बड़े भाई साहब का मानना है कि जीवन की समझ केवल पुस्तकें पढ़ने से नहीं आती। यह समझ तो जगत में जीवन जीने से आती है। उनका यह मानना था कि अम्मा और दादा भले ही उन जितनी किताबें न पढ़ें हों लेकिन अपने अनुभव के आधार पर उन्हें दुनियादारी की असंख्य बातें पता थीं। ऐसी हजारों बातें प्रतिदिन  के जीवन में आतीं हैं जिनका समाधान अनुभव और समझ से होता है। बड़े भाई साहब उम्र और अनुभव को बहुत महत्त्व देते थे।
4.    बड़े भाई साहब ने छोटे भाई को बताया कि भले ही वह पढ़ाई में उनके करीब आ गया हो किन्तु जीवन का अनुभव उसे कम ही है क्योंकि वह छोटा हैयदि आज कोई विपत्ति आए तो वह घबरा जाएगा लेकिन यदि दादा हों तो वे किसी भी स्थिति को बड़ी होशियारी से संभालेंगे। दादा अपनी थोड़ी-सी कमाई में कितनी समझदारी से घर चलाते हैंजबकि दादा हमें जो भेजते हैंवे खर्च हो जाते हैं और फिर धोबी और नाई से मुँह चुराते हैं। ऑक्सफोर्ड से पढ़े हेडमास्टर साहब का घर उनकी माँ चलती हैं। बड़े भाई साहब ने छोटे को कहा कि वह उसे कभी भी गलत राह पर नहीं चलने देगा। बड़े भाई साहब की ये बातें सुनकर लेखक के मन में उनके प्रति श्रद्धा पैदा हुई।   
5.    बड़े भाई की स्वभावगत विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
क.           बड़े भाई साहब अत्यंत परिश्रमी हैं।
ख.          बड़े भाई साहब अत्यंत संयमी और कर्तव्यपरायण व्यक्ति थे। 
ग.  बड़े भाई साहब बड़ों का आदर करते थे।
घ. बड़े भाई साहब अपने छोटे भाई को सदा सही रास्ते पर चलने की सलाह देते थे।
ङ.बड़े भाई साहब की चिंतन शक्ति उच्च कोटि की थी।
6.    बड़े भाई साहब ज़िंदगी के अनुभव को किताबी ज्ञान से अधिक महत्त्वपूर्ण बताया है। उनका मानना था कि किसी के  पास किताबी ज्ञान कितना ही हो लेकिन उम्र के साथ जो अनुभव आता है वही जीवन में सही-गलत का फ़ैसला लेने में अधिक मदद करता है। उनका मानना था की बुजुर्गों ने चाहे डिग्री प्राप्त न की हो लेकिन अपने अनुभव के आधार पर उन्हें जीवन के उचित और अनुचित का सही ज्ञान होता है। स्कूल के हेडमास्टर ने ऑक्सफोर्ड से एम. ए. किया था परंतु घर चलाने में फ़ेल हो गए। उनका घर उनकी बूढ़ी माँ सफलता और कुशलता से चलाती हैं जो अनुभव का परिचायक है।
7.    क. जब बड़ा भाई दो बार फ़ेल हो जाता है तथा छोटा भाई कक्षा में अव्वल आकर पतंगबाज़ी में अपना समय बिताने लगता है तो उसका बड़ा भाई समझाता है कि भले ही वह फ़ेल फो गया है किन्तु वह बड़ा है और उसे यूँ गलत रास्ते पर न जाने देगा। बड़े भाई की बातें सुनकर छोटे भाई की आँखें भर आईं। बड़े भाई साहब ने छटे भाई से कहा कि इस वक्त तुम्हें मेरी बारे जहर लग रही होंगीछोटा बोला – हरगिज नहीं।
ख. भाई साहब को ज़िंदगी का अच्छा अनुभव है। वे जानते हैं कि दादा अपनी मेहनत की कमाई किस प्रकार हमारी पढ़ाई पर खर्च कर रहे हैं। परिवार का भी पालन सही तरीके से कर रहे हैं। वह यह भी जानते हैं कि यदि वे अपने आचरण और व्यवहार पर काबू नहीं रखेंगे तो छोटे भाई को कैसे संभाल पाएँगे।
ग. बड़े भाई साहब जब छोटे भाई को समझा रहे थे तभी संयोग से एक कटी हुई पतंग उन दोनों के करीब से आई। उस पतंग की डोर लटक रही थी। बड़े भाई साहब लंबे थे उन्होंने लपक कर डोर खींच ली और पतंग लेकर हॉस्टल की तरफ भागे। यह हरकत बताती है कि  बड़े भाई साहब को भी दूसरे लड़कों की तरह पतंग उड़ाने और लूटने का मन होता था।
घ. जब भी लेखक खेलकूद में अधिक समय लगाते थे तथा पढ़ाई पर ध्यान न देते थे तो बड़े भाई साहब उन्हें डाँटते थे। बड़े भाई साहब उन्हें हर समय दुनिया में क्या ठीक है क्या गलतसमझाते रहते थे। वह छाते थे कि उनका छोटा भाई सदा सही रास्ते में आगे बढ़े।

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